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December 2019

सोशल डायरी ब्यूरो से Copyright Content
‘‘...हमारा शूद्र होना एक भयंकर रोग है, यह कैंसर जैसा है। यह अत्यंत पुरानी शिकायत है। इसकी केवल एक ही दवा है, और वह है इस्लाम। इसकी कोई दूसरी दवा नहीं है। अन्यथा हम इसे झेलेंगे, इसे भूलने के लिए नींद की गोलियाँ लेंगे या इसे दबा कर एक बदबूदार लाश की तरह ढोते रहेंगे। इस रोग को दूर करने के लिए उठ खड़े हों और इन्सानों की तरह सम्मानपूर्वक आगे बढ़ें कि केवल इस्लाम ही एक रास्ता है…।’’

‘‘…अरबी भाषा में इस्लाम का अर्थ है शान्ति, आत्म-समर्पण या निष्ठापूर्ण भक्ति। इस्लाम का मतलब है सार्वजनिक भाईचारा, बस यही इस्लाम है। सौ या दो सौ वर्ष पुराना तमिल शब्द-कोष देखें। तमिल भाषा में कदावुल देवता (Kadavul) का अर्थ है एक ईश्वर, निराकार, शान्ति, एकता, आध्यात्मिक समर्पण एवं भक्ति। ‘कदावुल’ (Kadavul) द्रविड़ शब्द है। अंग्रेज़ी भाषा का शब्द गॉड (God) अरबी भाषा में ‘अल्लाह’ है। ….भारतीय मुस्लिम इस्लाम की स्थापना करने वाले नहीं बल्कि उसका एक अंश हैं…।’’

‘‘…मलायाली मोपले (Malayali Mopillas), मिस्री, जापानी, और जर्मन मुस्लिम भी इस्लाम का अंश हैं। मुसलमान एक बड़ा गिरोह है। इन में अफ़्रीक़ी, हब्शी और नेग्रो मुस्लिम भी है। इन सारे लोगों के लिए अल्लाह एक ही है, जिसका न कोई आकार है, न उस जैसा कोई और है, उसके न पत्नी है और न बच्चे, और न ही उसे खाने-पीने की आवश्यकता है।’’

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‘‘…जन्मजात समानता, समान अधिकार, अनुशासन इस्लाम के गुण हैं। अन्तर के कारण यदि हैं तो वे वातावरण, प्रजातियाँ और समय हैं। यही कारण है कि संसार में बसने वाले लगभग साठ करोड़ मुस्लिम एक-दूसरे के लिए जन्मजात भाईचारे की भावना रखते हैं। अतः जगत इस्लाम का विचार आते ही थरथरा उठता है…।’’

‘‘…इस्लाम की स्थापना क्यों हुई? इसकी स्थापना अनेकेश्वरवाद और जन्मजात असमानताओं को मिटाने के लिए और ‘एक ईश्वर, एक इन्सान’ के सिद्धांत को लागू करने के लिए हुई, जिसमें किसी अंधविश्वास या मूर्ति-पूजा की गुंजाइश नहीं है। इस्लाम इन्सान को विवेकपूर्ण जीवन व्यतीत करने का मार्ग दिखाता है…।’’

‘‘…इस्लाम की स्थापना बहुदेववाद और जन्म के आधार पर विषमता को समाप्त करने के लिए हुई थी। ‘एक ईश्वर और एक मानवजाति’ के सिद्धांत को स्थापित करने के लिए हुई थी; सारे अंधविश्वासों और मूर्ति पूजा को ख़त्म करने के लिए और युक्ति-संगत, बुद्धिपूर्ण (Rational) जीवन जीने के लिए नेतृत्व प्रदान करने के लिए इसकी स्थापना हुई थी…।’’
 ‘द वे ऑफ सैल्वेशन’ पृ॰ 13,14,21 से

नफरत के इस दौर में सच्चाई का साथ देने वाले बहुत सारे लोग है. झूठ फरेब कितना भी ताकतवर क्यों ना हो आखिर सच उजागर ही होता है. मनोज कुमार गैरमुस्लिम होते हुए भी साम्प्रदायिकता को जोरदार तमाचा लगाते हुए इस्लाम विरोधियो को आईना दिखाया. सच को सच लिखा. हम आपके लिए उनके यह विचार प्रकाशित कर रहे है.

तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं!!!
जब से इस्लाम धर्म दुनिया में आया हैं , तब से ही इस्लाम को बुरा कहने वाले भी पैदा हो गये हैं।
इस्लाम धर्म से चिढने वालों की हर वक़्त यही कोशिश रहती हैं कि किसी न किसी तरीके से इस्लाम को बदनाम किया जाए।
और वे इस्लाम धर्म के प्रति अलग अलग प्रकार की भ्रामक बातें फैलाते रहते हैं।आखिरकार वे इस्लाम से चिढते क्यों हैं? जबकि
✅ इस्लाम कहता है कि हमें एक ईश्वर को पुजना चाहिए जो हम सबका मालिक हैं। जिसका कोई रंग हैं ना कोई रूप हैं। जिसे किसी ने नहीं बनाया पर उसने हर चीज़ को बनाया। अगर ये बात बुरी हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
✅ इस्लाम कहता है कि तुम्हारी मेहनत की कमाई से 2.5% गरीबों को देना हर हालत में जरूरी हैं। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
✅ इस्लाम कहता है कि तुम लोगों की मदद करोगे तो खुदा तुम्हारी मदद करेंगा। और जो कुछ भी तुम अपने लिए चाहते हो वही सबके लिए भी चाहो तो ही एक सच्चे मुसलमान बन सकते हो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
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✅ इस्लाम कहता है कि तुम एक महीने तक सुबह से शाम भूखे और प्यासे रहो ताकि तुम्हें एहसास हो सकें कि भूख और प्यास क्या होती हैं। अगर ऐसी बात सिखाना गलत हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
✅ इस्लाम कहता है कि तुम्हारे घर बेटी पैदा हो तो दुखी मत होना क्योंकि बेटियाँ तो खुदा की रहमत (इनाम) हैं। और जो व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई से अपनी बेटी की परवरिश करें और उसकी अच्छे घर में शादी कराएँ तो वो जन्नत (स्वर्ग) में जायेगा। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
✅ इस्लाम कहता है कि सबसे अच्छा आदमी वो हैं जो औरतों के साथ सबसे अच्छा सुलूक करता हैं। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
✅ इस्लाम कहता है कि विधवाएं मनहूस नहीं होती इन्हें भी एक बेहतर जीवन जीने का पूरा अधिकार है। इसलिए विधवाओ और उनके बच्चों को अपनाओ। अगर विधवाओ को अधिकार देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
✅ इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों जब नमाज पढ़ो तो एक दूसरे से कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े रहो क्योंकि तुम सब आपस मे बराबर हो तुम में से कोई छोटा या बड़ा नहीं हैं। समानता की शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
✅ इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों अपने पड़ोसियों से अच्छा बर्ताव करो चाहे तुम उन्हें जानते हो या न जानते हो। और खुद खाने से पहले अपने पड़ोसी को खाना खिलाओ। पड़ोसी की मदद करना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।


✅ इस्लाम कहता है कि शराब और जुआ सारी बुराइयों की जड़ है। इनसे अपने आप को दूर रखे। अगर समाज में मौजूद बुराइयों को समाप्त करना बुरी बात हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
✅ इस्लाम कहता है कि मजदूर का पसीना सूखने से पहले पहले उसकी मजदूरी दे दो। और कभी किसी गरीब और अनाथ की बद्दुआ न लेना नहीं तो बरबाद हो जाओगे। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
✅ इस्लाम कहता है कि अपने आप को जलन (ईर्ष्या) से दूर रखो क्योंकि ये तुम्हारे (नेकियों) अच्छे कामों को ऐसे बरबाद कर देती हैं जैसे दीमक लकड़ी को। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
✅ इस्लाम कहता है कि बुजुर्ग व्यक्ति का सम्मान करना मानों खुदा का सम्मान करने जैसा हैं। अगर तुम जन्नत (स्वर्ग) में जाना चाहते हो तो अपने मा बाप को हर हाल में खुश रखो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
✅ इस्लाम कहता है कि सबसे बड़ा जिहाद ये है कि कोई व्यक्ति अपनी इच्छाओं को मारे और अपने आप से लड़े। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
✅ इस्लाम कहता है कि अगर खुश रहना चाहते हो तो किसी अमीर को मत देखो बल्कि गरीब को देखो तो खुश रहोगे। और लोगों से अच्छा बर्ताव करना सबसे बड़ा पुण्य का काम हैं। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
✅ इस्लाम कहता है कि हमेशा नैतिकता और सच्चाई के रास्ते पर चलो। बोलों तो सच बोलों, वादा करो तो निभाओ और कभी किसी का दिल मत दुखाओ। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
✅ इस्लाम कहता है कि सबसे बुरी दावत वह हैं जिसमें अमीरों को तो बुलाया जाता हैं परन्तु गरीबों को नहीं बुलाया जाता हैं।
✅पानी को ज़रूरत तक ही इस्तेमाल(उपयोग) करना। और बिना वजह पानी का दुरूपयोग करना गुनाह(पाप)। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
✅रास्ते में अगर कोई तक़लीफ़ देने वाली वस्तु(पत्थर,कील,) होतो उसे किनारे करना जिससे दुसरो को पीड़ा न हो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।
 ✅इस्लाम कहता है कि अन्जान महिलाओ पर नज़र पड़े तो आँखें नीची कर लो क्योंकी गैर महिलाओ को बुरी नजर से देखना गुनाह(पाप) है। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा घर्म है। ??? आप ही सोचिये के इस्लाम बुरा धर्म है या उसे बुरा केहने वाले।। कुरान सिर्फ मूसलमांन की धार्मिक किताब नही है। कुरान तो हिन्दुस्तान ही नही दुनिया के हर इंसान के लिए, हर समाज के लीये सही रास्ते पे चलने का ओर एक बेहतरीन जिंदगी जीने का रास्ता है।। हर इंसान को कुरान पढ़ना चाहिए ओर उसे समझना चाहिए ।।
-मनोज कुमार All India Youth federation - AIYF
President East Delhi है.

फिलहाल सोशल मीडिया पर एक त्सुनामी आया है उस त्सुनामी का नाम है तैमूर, हाल ही में एक बच्चे को करीना कपूर और सैफ अली खान इस दंपत्ति ने जन्म दिया. शादी उन्होंने की, बच्चा उन्होंने पैदा किया, नाम उन्होंने रखा, लेकिन पेट में दर्द भक्तो के हो रहा है. यह बात सच है के नाम रखने से कोई वैसा नहीं बन सकता जिसका नाम रखा गया हो. इस विषय पर सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है. कोई तीखा जवाब दे रहा है तो कोई कॉमेडी कर रहा है, तो कोई सवाल पूछ रहा है.

जिस तरह से महापुरुष, देवी-देवता, रूशी-मुनियों के नाम करोडो लोगो ने रखे है लेकिन कोई महापुरुष बना ना कोई रूशी बना ना कोई भगवान् देवी देवता बना. फिर तैमुर नाम पर इतना बवाल क्यों ? बस यह सिर्फ साम्प्रदायिकता है. वरना निर्भया के बलात्कारी के नाम के लोगो पर भी आपत्ति जताई जाती, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता. - संपादक

मुंबई के एल्फ़िंस्टन ब्रिज हादसे को लेकर मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने मोदी सरकार पर तीखा हमला किया है. उन्होंने मोदी सरकार की तुलना आतंकियों से करते हुए कहा कि हमें पाकिस्तान जैसे दुश्मनों या आतंकियों की जरूरत ही क्या है? ऐसा लगता है कि लोगों की जान लेने के लिए हमारी अपनी रेलवे ही काफी है.

इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कटघरें में खडा करते हुए कहा कि मोदी सरकार झूटे वादे करके ही सत्ता में आई हैं और अब उनकी पोल खुल गई है. ठाकरे ने कहा की, कितना झूठ बोलता हैं इस देश का प्रधानमंत्री. इतना झूठ बोलने वाला प्रधानमंत्री आज तक उन्होने नहीं देखा.

एएनआई से बात करते हुए ठाकरे ने कहा कि मुंबई लोकल से जुडे मुद्दे की लिस्ट को 5 अक्टूबर तक रेलवे तक सौंप देंगे. इसके बाद अगर समय पर उन्होंने स्थिति को सही नहीं किया, तो हम अपने हिसाब से काम करेंगे. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक सभी मुंबई में रेल में सफर करने वाले यात्रियों के मुद्दे नहीं सुलझ जाते, वह बुलेट ट्रेन परियोजना को शुरू नहीं होने देंगे.

ठाकरे ने कहा, “मैं बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए एक ईंट भी नहीं लगाने दूंगा. पहले मुंबई के यात्रियों की बुनियादी समस्याएं सुलझाइए. मोदी चाहें तो गुजरात में इसका निर्माण करा लें. अगर वह बल प्रयोग करेंगे, तो हम भी जबाव देंगे.”

उन्होंने दावा किया कि बुलेट ट्रेन परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए ही सुरेश प्रभु के स्थान पर पीयूष गोयल को रेल मंत्री बनाया गया है। उन्होंने कहा, “प्रभु अच्छे थे, गोयल किसी काम के नहीं हैं।”
(कोहराम से)

अमेरिकन युआन रिडली
ट्विन टावर अटैक के बाद एक बात अमेरिकन योरोपियन मीडिया द्वारा प्रिप्लांड तरीके से वाइरल की गई कि हवाई जहाज़ के टकराने से ठीक पहले मुहम्मद अता ने कहा कि जश्न मनाओ साथियो ... हमने कुरान को अपनाया और अब हम जन्नत जाने वाले हैं । निशाना सीधा कुरान को लेकर प्रोपेगेंडा करने का था एक पादरी तो इतना जज़्बाती हो गया कि उसने कुरान को सार्वजनिक जलाने की घोषणा करदी पादरी और मीडिया के इस प्रोपेगेंडा ने योरोप में कुरान को लेकर इतनी जिज्ञासा पैदा करदी की योरोप में कुरान की पूर्ति होना मुश्किल हो गयी ।

प्रिंट से ज्यादा ऑर्डर थे , और बेश्तर महिलाओं की संख्या ज्यादा थी जो कुरान खरीदने के लिए कई दिनों तक बुक स्टोर के चक्कर लगाती रहीं  और जब कुरान को इस हद तक पढ़ा गया कि आज योरोप में यह संकट पैदा हो गया है कि आख़िर कैसे रोकें युवाओं को मुसलमान होने से धर्म परिवर्तन कर मुसलमान होने की जैसे योरोप में उसी वक़्त से हवा चल रही है मैं शुक्रिया अदा करती हूँ फासिज़्म का , सैफरोनिज़्म का , संघ का , अदालतों का और सरकार का और सबसे बढ़ कर मीडिया का मैं दिली साधुवाद देती हूँ मीडिया को जो कि एक नई सुबह, नई बेदारी नए इंकलाब के लिए मुसलमानो को ज़मीन तैयार करके दे रही है साधुवाद देती हूँ कि मुस्लिम कौम को टीवी पर लगातार प्रसारण देते रहने के लिए ब्राह्मणवाद हार्ड है पर स्मार्ट नही है ...

जो स्मार्ट होता तो दुनिया का सबसे बड़ा धर्म परिवर्तन का गहवारा भारत न बनता ... हालांकि अपनी कोशिशों से ब्रह्मानिज़्म ने इस परिवर्तन को रोकने की कोशिश की होगी . ... लेकिन यह इस्लाम है मेरी जान , प्रतिकूल ही तो इस्लाम के अनुकूल है इतिहास गवाह है. 9/11 के बाद 10 महीने में 34 हज़ार युवाओं ने इस्लाम को अपनाया अकेले अमेरिका में 9/11 के बाद 9 महीने में 28 हज़ार युवाओं ने इस्लाम को स्वीकार किया यूरोप में न तलवार ,न तोप, तो क्या ??

Sawal:-Hazrat Moosa (Alaihissalam) Ke “Asa” Mubarak Ka Kya Naam Tha?
.
Jawab:-Aap Ke “Asa” Mubarak Ke Nam Se 3 Aqwal Hai…
1.Nab’a.
2.Maasha.
3.Illiq.
Ye Asa Mubarak “Jannat” Ke Darakht (Ped) “Aas” Ki Lakdi Ka Tha.
Ye Asa Mubarak Hazrat Adam (Alaihissalam) Jannat Se Laaye The,Unse Muntaqil Hota Huwa,Hazrat Shoeb (Alaihissalam) Tak Pahuncha,Aur Aap Ne Hazrat Moosa Ko Bakriya’n Charane ke Liye Diya tha.
Is Asa Ki Lambayi Aap Ke Qad ke Barabar Thi.
{Ibn-e Kaseer,Parah-16-Ruku10}

Note: Asa “Lakdi Ke Dande” Ko Kahte Hai,Jis Se Log Sahara Leke Chalte Hai.

*********

Sawal:-Hazrat Moosa (Alaihissalam) Ke Asa Mubarak Me Kya Kya Khubiya Thi?
.
Jawab:-Aap Ke Asa Mubarak Ki Khubiya’n Is Tarah Riwayato Me Mazkoor Hain…
1. Is Asa Mubarak Ke Upar Ki 2 Shakhen Thi,Jo Tareek (Andhere) Me Dono Taraf Jalti Thi.
2.Aap Jab Safar Me Hote To Ye “Asa” Aap Se Baaten Karte Chalta Tha.
3.Aap Ko Jab Bhook Lagti,Aur Koi Cheez Khaane Peene ko Naa Hoti To, Asa Ko Zameen Par Maarte,Usse Ek Din Ka Khana Nikal Aata Tha.
4.Jab Aap Ko Piyas Lagti To Aap Zameen Par Nasab Karte To Usse Paani Ubalna Shuru Ho Jaata Tha.
5.Jab “Kuwe’n” Se Paani Kheechne ki Naubat Aati To Ye Asa Dol Ka Kaam Deta,Aur Itna Lamba Hojata Jitni Kuwen Ki Gaihrayi Hoti,Upar Ki 2 Shaakhe’n Dol Ki Tarah Banjati Thi.
5.Jab Aap Ko “Phal” Khaane Ki Khuwahish Hoti To Us Asa ko Zameen Par Dafan Kardete,Ye Asa Darakht (Ped) Banjaata,Patte Nikal Aate,Fir Phal Aajate The.

6. Jab Koi Dushman Saamne Aata To Ye “Asa” Khud Ba Khud Us se Ladta,Aur Galib Aajata Tha.
{Nuzhatul Majalis,Safa-No.23}


" POST BY MOHSIN "

हजरत अली के घर में सबने रोजा रखा। हजरत फातिमा ने भी रोजा रखा, दो बच्चे है उनके अभी छोटे है पर रोजा रखा हुआ है।मगरिब का वक़्त होने वाला है, इफ्तारी का वक़्त होने वाला है, सबके सब मुसल्ला बिछा कर रो-रोकर दुआ मांगते हैं. हजरत फातिमा दुआ खत्म करके घर में गयी और चार (4) रोटी बनाई, इससे ज्यादा उनके घर में अनाज नही है।

हजरत फातिमा चार रोटी लाती है। पहली रोटी अपने शौहर अली के सामने रख दी, दूसरी रोटी अपने बड़े बेटे हसन के सामने, तीसरी रोटी छोटे बेटे हुसैन के सामने रख दी, ओर एक रोटी खुद रख ली।मस्जिद-ए-नबवी में आजान हो गयी,  सबने रोजा खोला, सबने रोटी खाई मगर दोस्तो #अल्लाह_की_कसम वो फातिमा थी जिसने आधी रोटी खाई ओर आधी रोटी को दुपट्टे से बांधना शुरू कर दिया. ये मामला हजरत अली ने देखा और कहा के फातिमा तुझे भूख नही लगी, एक ही तो रोटी है उसमे से आधी रोटी दुपट्टे में बांध रही हो??

फातिमा ने कहा!! ऐ अली हो सकता है मेरे बाबा जान(नबी पाक)को इफ्तारी में कुछ ना मिला हो, वो बेटी कैसे खायगी जिसके बाप ने कुछ खाया नही होगा? फातिमा दुपट्टे में रोटी बांध कर चल पड़ी है उधर हमारे नबी मगरिब की नमाज़ पढ़ा कर आ रहे हैं हजरत फातिमा दरवाजे पर है देखकर हुजूर कहते हैं ऐ फातिमा तुम दरवाजे पर कैसे, फातिमा ने कहा ए अल्लाह के रसूल मुझे अंदर तो लेके चले।

हजरत फातिमा की आंखों में आंसू थे, कहा जब इफ्तार की रोटी खाई तो आपकी याद आ गयी कि शायद आपने खाया नही होगा इसलिए आधी रोटी दुपट्टे से बांध कर लाई हूँ, रोटी देखकर हमारे नबी की, आंखों में आंसू आ गए और कहा #ए_फातिमा अच्छा किया जो रोटी ले आई वरना चौथी रात भी तेरे बाबा की इसी हालात में निकल जाती। दोनों एक दूसरे को देखकर रोने लगते हैं। अल्लाह के रसूल ने रोटी मांगी, फातिमा ने कहा बाबा जान आज अपने हाथों से रोटी खिलाऊंगी ओर छोटे छोटे टुकड़े किये और हुजूर को खिलाने लगी।

रोटी खत्म हो गयी और हजरत फातिमा रोने लगती है. हुजूर पाक ने देखा और कहा के फातिमा अब क्यों रोती हो? कहा अब्बा जान कल क्या होगा?? कल कोन खिलाने आयगा? कल क्या मेरे घर मे चुहला जलेगा ??कल क्या आपके घर में चुहला जलेगा? नबी ने अपना प्यारा हाथ फातिमा के सर पर रखा और कहा कि फातिमा तू भी सब्र करले ओर मैं भी सब्र करता हूँ। हमारे सब्र से अल्लाह उम्मत के गुनाहगारों के गुनाह माफ करेगा। अल्लाहु अकबर

ये होती है मोहब्बत जो नबी को हमसे थी, उम्मत से थी। ये गुनाहगार उम्मती हम ही है जिनके लिए हमारे नबी भूखे रहे, नबी की बेटी भूखी रही। और आज हमलोग क्या कर रहे हैं. उनके लिए कल कयामत के दिन #मैं_ओर_आप_क्या_जवाब_देंगे।

-आमना Faria सिंधिया

यदि आप खजुराहो के मंदिर की कृतियां देखे य़ा मंदिर, या फिर अजन्ता-एलोरा की गुफा देखेंगे तो भारत में अापको इस्लाम के आने से पहले की संस्कृती का अंदाजा हो जायेगा ! आइए जानते हैं इस्लाम के आने से पहले क्या थी भारत की संस्कृति !

गे और लेस्बियन तो छोटी बात है मनुष्यों की जानवरों से संभोग करती तस्वीरें अापको मिल जायेंगी ! कामसूत्र जब यहाँ से लिखा गया तो दुनिया के पास ऐसी कोई पुस्तक नही थी ! हिंदू धर्म ग्रंथो में गे और लेस्बियन का न मात्र उल्लेख है अपितु उन्हें शिव का आशिर्वाद प्राप्त करते दिखाया गया है ! - वेदों में बड़े देवता वरुण और मित्रा के अंत्रंग संबंधों का वर्णन है,  - वेद के सबसे बड़े भगवान अग्नी के समान एवं शिव के वीर्य चाटने की कथाएँ हैं,

- अग्नी के शिव के वीर्य का मुखपान करने से कार्तिकिये के जन्म का वर्णन है ! परंतु यह सब तेरहवीं शताबदी के पहले का है !

#इस्लाम_के_आने_के_बाद_का_भारत
- भारत में इस्लाम के प्रादुरभव के साथ ही आम जन-मानस पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा,
- लोगों में शरीर पूर्ण रुप से ढ़कने का प्रचलन शुरू हुआ !
- स्त्रियों में दुपट्टा ओढ़ने का रिवाज आया तो वहीं कहीं-कहीं महिलाओं में घूंघट ओढ़ने का भी रिवाज बढ़ा, जोकि मुस्लिमों के बुर्के से प्रभावित था !
- पुरूषों ने भी उपर के तन को ढ़कना शुरू किया, स्त्री-पुरूष के आंतरिक संबन्धों के नियम कड़े हुए !

#1947_के_बाद_का_भारत
- अंग्रेजों के आ जाने और पाकिस्तान के अलग हो जाने से 1947 से भारत पर इस्लाम का प्रभाव क्रमश: घटता गया पर 1947 के बाद बने कानून में "गे" संबन्धों पर 10 साल के दंड़ का प्रावधान किया गया !
- सदियों तक भारत पर प्रभाव ड़ालती इस्लामिक संसकृती से बनी मानसिकता का ही परिणाम था कि खजुराहो संसकृती पीछे जा चुकी थी !
- 70 सालों में धीरे-धीरे कर के भारत से इस्लाम का प्रभाव अब समाप्त हो गया है और भारत पुन: उसी संस्कृती की ओर अग्रसर है !

#अंधभक्तों_का_भारत
- भारत उसी योनि अंगों की ओर प्रमुखता से अग्रसर हो रहा है,
- समलैंगिक संबंध जिन्हें हेय दृष्टि से देखा जाने लगा था आज फिर से कानूनी मान्यता मिलने पर निर्लज्जता के साथ समाज में रोग की भांति फैलने लगी है !
- इसके अलावा पत्नी का किसी गैर पुरुष से संबंध और पति का गैर पत्नी के साथ संबंध अब नाजायज न कहला कर आत्मसंतुष्टि का पर्याय बन गया है !
- यही हाल रहा तो नियोग और एक स्त्री पर चार पांच पुरुष या पूरा झुंड कानूनन सही ठहरा दिया जाएगा,
क्योंकि कानून भी अब सत्ता की स्याही से लिखा जाने लगा है !

शोधकर्ताओं को एक हस्तलिपि मिली है, जिसमें न केवल कयामत के दिन की भविष्यवाणी की गई है, बल्कि नक्शे के द्वारा इस्लाम के ईसाई धर्म पर हावी होकर दुनियाभर में फैलने की भी भविष्यवाणी है।
यह हस्तलिपि लैटिन भाषा में लिखी गई है। इसमें इस्लाम के विस्तार का जिक्र है। इस हस्तलिपि के लेखक का नाम तो नहीं पता, लेकिन कुछ का कहना है कि किसी बापतिस्ता नाम के एक ज्योतिषीय चिकित्सक ने इसे लिखा है। यह हस्तलिपि जर्मनी के लूबक प्रांत में 1486 से 1488 के बीच लिखी गई। फिलहाल यह कैलिफॉर्निया के हंगटिंगटन पुस्तकालय में रखी हुई है।

हस्तलिपि में भविष्यवाणी की शुरुआत एक मानचित्र से हुई है। इसमें 639 से 1514 के बीच की दुनिया को उकेरा गया है। लेखक ने दुनियाभर में इस्लाम के फैलने और इस्लाम द्वारा दुनिया पर कब्जा किए जाने की चेतावनी देते इसे ईसाई देशों के लिए खतरा बताया है।

जाने-माने लेखक वेन डोजर ने इस हस्तलिपि को ‘इस्लाम विरोधी’ बताते हुए कहा, ‘यह दुखद है, लेकिन उस समय उन जगहों में इस्लाम को लेकर बड़े स्तर पर पूर्वाग्रह कायम था।’

इसी हस्तलिपि में आगे लिखा है कि ‘इस्लाम की तलवार’ पहले यूरोप पर कब्जा करेगी और फिर वहां से बाकी दुनिया में अपना रास्ता बनाएगी। इस नक्शे में बीच में धरती की जगह एक घेरा बना है।

इसके अंदर 5 तलवारें उकेरी गई हैं। 5 में से एक तलवार पर लिखा है, ‘यह सही करती है।’ दूसरी तलवार पर लिखा है, ‘सुधारती है।’ तीसरी तलवार पर ‘कुचलती है’ लिखा है। चौथी तलवार पर ‘घूमती है’ लिखा है। पांचवीं तलवार पर कुछ नहीं लिखा। इन आकृतियों के आसपास यह भविष्यवाणी की गई है कि 1515 से 1570 के बीच दुनिया भर में क्या-क्या घटेगा।

इस्लाम के फैलने के अलावा एक अलग नक्शे में ईसा मसीह के विरोधी के उदय को दर्शाया गया है। तस्वीरों के माध्यम से दिखाया गया है कि ईसा के विरोधी की बड़ी सींगे दुनिया भर में फैल गई हैं। इसमें दर्शाय गया है कि वह धोखे, चालाकी, क्रूरता से और खुद को भगवान बताकर लोगों को उसे मानने के लिए राजी करेगा। इसके बाद उस दौर को भी दर्शाया गया है कि जब फिर से दुनिया में ईसा का झंडा लहराएगा। इस नक्शे में धरती और नर्क की परिधि की गणना भी की गई है। बताया गया है कि नर्क 8,000- 6,100 मील लंबा-चौड़ा है।

सात जेलें और 500 मुसलमानअल्लाह जिससे चाहे काम ले सकता है
कुवैत के एक बेहद मेहनती छात्र ने कभी यह तो सपने में भी नहीं सोचा था कि अमरीका में उसे जेल की सलाखों के पीछे अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा गुज़ारना पड़ेगा।

अमरीकी जेल की समस्याओं और परेशानियों के बावजूद " यासिर अलबहरी " ने जेल में सब कुछ भूल कर किताबें लिखी और बहुत से क़ैदियों को मुसलमान बना दिया। उन्हें, अमरीकी अदालत ने यौन शोषण के आरोप में 15 साल की जेल की सज़ा सुनायी थी हालांकि वह निर्दोष थे।

दुर्भाग्य का आरंभ
यासिर अलबहरी, पीएचडी के लिए फ्लोरीडा चले गये जहां उनके एक भाई पहले से ही पीएचडी कर रहे थे। यासिर के पास पढ़ाई से समय बच रहा था इस लिए उन्होंने अपने छोटे भाई के साथ मिल कर एक " अरबी कॉफी हाउस" बनाने की योजना बनायी। यह कॉफी हाउस तीन लाख डॉलर में खुल गया जिसें पूर्वी खाने पीने की चीज़ें मिलती थीं, कुछ ही समय में उनका कॉफी हाउस फ्लोरीडा में बेहद मशहूर स्थलों में गिना जाने लगा। यह कॉफी हाउस युनिवर्सिटी के निकट था। कॉफी हाउस से प्रतिदिन कम से कम दो हज़ार डॉलर की आमदनी होने लगी।

" यासिर अलबहरी "
यासिर अपनी इस कामयाबी से बेहद खुश थे, उन्होंने सन 2007 में दो लाख डॉलर में एक फ्लैट खरीदा और अपनी बीवी को सरप्राइज़ गिफ्ट देना चाहते थे तभी कॉफी हाउस में काम करने वाली एक वेटर्स ने उन पर यौन शोषण का आरोप लगा दिया और पुलिस ने यासिर को गिरफ्तार कर लिया। उस वेटर्स को मात्र 4 दिन पहले नौकरी पर रखा गया था। अमरीकी वकील ने 5 लाख डॉलर फीस के साथ वादा किया कि चूंकि उनके खिलाफ कोई सुबूत नहीं है इस लिए उन्हें जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा क्योंकि मेडिकल रिपोर्ट में भी यौन शोषण की पुष्टि नहीं हुई थी मगर अंत में ज्यूरी ने 15 साल जेल की सज़ा सुनायी।

सात जेल, 500 मुसलमान!
यासिर अलबहरी को फ्लोरीडा राज्य की सात जेलों में अलग अलग समय में रखा गया, जेल में उनके साथ अधिकांश अश्वेत और लेटिन अमरीका के लोग थे और जब यासिर अलबहरी नमाज़ पढ़ते तो वह सब बड़े ध्यान से उन्हें देखते और फिर इस्लाम के बारे में उनसे सवाल पूछते। यासिर भी चूंकि काफी पढ़ लिखे थे इस लिए वह इस्लाम की बारीकियों से उन्हें अवगत कराते। इस प्रकार यासिर अलबहरी ने अमरीका में पंद्रह साल के दौरान सात जेलों में कुल मिलाकर 500 से अधिक बंदियों को मुसलमान बनाया और 22 किताबें लिखीं।

यासिर अलबहरी की पंद्रह साल की जेल की अवधि अगले महीने पूरी होने वाली है जिसके बाद उन्हें कुवैत वापस भेज दिया जाएगा जहां वह फिर से नयी ज़िदंगी शुरु करेंगे लेकिन शायद वह यह न सोचें कि अमरीकी जेलों में उनके 15 साल बर्बाद हो गये! (Q.A.) साभार, अलजज़ीरा नेट

हज़रत मुहम्मद सल्ल. एक परिचय।
न किसी काले को किसी गोरे पर, न किसी गोरे को किसी काले पर कोई बढोत्तरी हासिल हे । सब आदम की सन्तान हैँ और इन्सान होने की हेसियत से सब बराबर हैं ।

मानव समानता के यह महान विचार समस्त मानवजाति के लिए ईश्वर के अन्तिम ईशदूत हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के है, जिनका जन्म 571 ई॰ में अरब के प्रसिद्ध शहर मक्का मेँ हुआ था और 40 वर्ष की आयु में अल्लाह ने जिनको अपना नबी (प्रेषित, पैगंबर) बनाया और अपनी पवित्र वाणी कुरआन वह्रय (प्रकाशना) के माध्यम से आप पर अवतरित की ।

 अल्लाह की आज्ञानुसार 23 वर्ष तक आपने लोगों को सत्य धर्म की ओर बुलाया और अल्लाह का संदेश सुनाया और सन् 632 इं० में अपने मिशन के पूर्ण होने के पश्चात वापस ईश्वर से जा मिले । वर्तमान विश्व की 25 प्रतिशत जनसंख्या आपको अपना आदर्श और मार्गदर्शक स्वीकार करके आपका अनुसरण करने का प्रयत्न कर रही है और लोक परलोक में सुख शांति मुक्ति और समाधान प्राप्त करने का प्रयत्न कर रही है, आपके अनुयायियों की संख्या में दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही हे ।
आपका भी स्वागत रहेगा।

एक मर्तबा हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ को किसी ने सवाल किया
कब तक हम कमज़ोरों को दावत देते रहोगे.... मक्का का जो पहलवान है उसको दावत क्यों नही देते.....?

मक्का का पहलवान जिनका नाम था हज़रत रुकाना बहुत जबरदस्त पहलवान था...! रुकाना के बारे में लिखा है वह इतने ज़बरदस्त पहलवान थे अगर एक जगह बैठ जाते तो 40 आदमी मिल कर भी उनको उठा नही सकते थे। किसी ने आकर कहा कब तक हम कमज़ोरों को दावत देते रहोगे अगर आप पैगम्बर इस्लाम हैं आप का दिन सच्चा है अगर आप नबी है तो रुकाना को जा कर दावत दो ....!

हमारे नबी ए करीम मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ मक्का में रुकाना के दरवाज़े पर गए दरवाज़ा खटखटाया अंदर से रुकाना ने पूछा कौन......! आप ﷺ ने फरमाया मै मुहम्मद मै अल्लाह का रसूल हुँ। एक बार कलमा पढ़ले तू कामयाब हो जाएगा ...! वह तो पहलवान बोला कलमा पढू. ...? ना ना कलमा नही पढूंगा मैं तो अपनी ताकत के बलबूते पर जीता हुँ मैं कलमा नही पढूंगा। नबी ने बहुत समझाया तो रुकाना बोला अगर तुम नबी हो तो कुश्ती का एक मुक़ाबला हो जाये। अगर मैं तुझे पछाड़ दूँ तो तू मेरी तरह बन जाना अगर तू मुझे पछाड दे तो मैं कलमा पढ़ लूँगा...!

आप मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ ने फरमाया मुझे यह भी मंज़ूर है। इस बहाने कम अज़ कम मेरा उम्मती जहन्नम से आज़ाद तो हो जाएगा। जब रुकाना ने देखा अच्छा मैं मक्का का पहलवान और यह मुझे चैलेंज दे रहा तो रुकाना ने कहा अभी नही अभी नही अब तो मैदान में मुक़ाबला होगा और सारे लोग जमा होंगे। चुनांचे ऐलान हुआ सारा मक्का जमा हो गया पूरा मैदान खचाखच भर गया। आप मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ ने रुकाना से कहा ए रुकाना अब यह मुक़ाबला शुरू होगा ... रुकाना ने कहा मुक़ाबला तो करेंगे पहले यह बताओ आप मुझपे पहले हमला करेंगे या पहले मैं हमला करूँगा....

नबीए करीम मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ की आंखों में आंसू आ गए फ़रमाया ना मैं तुझ-पे हमला नही करूँगा, कोई नबी अपने उम्मती पे हमला नही किया करता... [सुब्हान अल्लाह] इस लिए तू मुझपे हमला करले मैं उसके लिए तैयार हूं ...!

अब वह रुकाना तो रुकाना पहलवान थे सारा मक्का उनके साँथ मे था सारे मर्द और सारी औरतो ने उसके नाम की आवाजे लगाई वो रुकाना दौड़ता दौड़ता आया करीब था के हमारे नबी-ए-करीम पर हमला करता..!! जैसे ही उछला नबी ने रहमत वाले हाँथों को फैला दिया वह उछल कर नबी ए करीम मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ की गौद में आ गया.. हमारे नबी-ए-करीम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ ने बड़े मुहब्बत से उसे ज़मीन पर रखा... ले रुकाना तू हार गया और में जीत गया..

वह रुकाना चकरा गया के यह क्या हुआ अचानक रुकाना कहता है.. ऐ-मुहम्मद यह मेरी समझ मे नही आया मुझको एक और चांस दे-दो ना इसलिए के मैने हज़ारो कुश्तिया लड़ी लेकिन :- ऐसी कुश्ती तो मैने आज तक नही लड़ी .....
नबी ए करीम मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ ने फरमाया
रुकाना जा तुझे दूसरा मौका भी देता हूं ..

हज़रत रुकाना फिर दौड़ते-दौड़ते आये
फिर उछले नबी ने रहमत वाले हाँथों को फिर से फैलाया रुकाना उछल के गौद में आ गए हमारे नबी-ए-करीम ﷺ ने फिर से मुहब्बत से ज़मीन पर रख दिया। और फ़रमाया रुकाना तू फिर हार गया में जीत गया ..!
रुकाना ने फिर कहा नही समझ के सब बाहर है एक और चांस आखरी चांस।

जब तीसरी बार हज़रत रुकाना आये हमारे नबी ए करीम मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ ने इसी तरह अपने मुबारक हाँथो को रखा रुकाना उछले और उछलने के बाद नबी की गोद में, नबी ने बड़े मुहब्बत से ज़मीन पर रखा। हज़रत रुकाना को ज़मीन पर रखना था रुकाना ने ऐलान फ़रमाया. अब सारा मक्का रुकाना को कहने लगा. नाम डूबा दिया मिट्टी में मिला दिया. कलमा पढ़ लिया तूने तू मक्के का पहलवान तू मक्के का जांबाज़ तू मक्के का इतना बहादुर और तूने कलमा पढ़ लिया।

हज़रत रुकाना ने फरमाया ए मक्का वालो मैने कलमा इस लिए नही पढ़ा के में कुश्ती में तीन बार हार गया, मैने तो इसलिए कलमा पढ़ा के बहुत कुश्तिया लड़ा हु बड़े बड़े मैदानों में गया हूं लेकिन:- हमारा यह दस्तूर है. जब सामने वाला कंट्रोल करता है तो ज़ोर से ज़मीन पे पटकता है ... मैं तीन मर्तबा नबी के कंट्रोल में आया वह चाहते तो मुझे ज़ोर से ज़मीन पे पटकते लेकिन:- अल्लाह की कसम वह मुझे ऐसे ज़मीन पर रखते थे जैसे कोई शफ़क़त करने वाली माँ अपने दूध पीते बच्चे को ज़मीन पे रखती है। ए मक्का वालो तुम्हे क्या मालूम जब में पहली मर्तबा दौड़ा था उनके चेहरे से वो नूर उठ रहा था जो आसमान की तरफ जा रहा था मैं उसी वक़्त समझ गया यह किसी मामूली इंसान का चेहरा नही यह तो नबूवत वाला चेहरा है उसी वक़्त मेरे दिल ने कहा यह झूठा नही हो सकता यह तो नबी के सिवा और कुछ नही हो सकता....

 
मैं मानव धर्म को मानता हूँ । बहुत हद तक नास्तिकता भी मेरे अंदर है पर मैं अपनी नास्तिकता किसी के ऊपर थोपता नहीं। रमजान के महीने की शुरुआत हो चुकी है। अगले एक महीने तक मुस्लिम समुदाय के लोग रोजे रखेंगे। इस दौरान पांचों वक्त की नमाज के लिए भी लोग मस्जिद में जाते हैं।देख रहा हूँ देश के अधिकांश जी हाँ अधिकांश हिन्दुओं में मुस्लिमों के लिए दिलों दिमाग में गोबर भरा हुआ है। रोजे का मजाक उड़ाया जा रहा है। पड़ोस में रहने वाले अब्दुल ,शाहिद किराना दुकान वाले गफूर ,रहमान ,साथ में काम करने वाले सलीम ,जुबेर से ज्यादा ये लोग आईएस और तालिबान वाले मुस्लिमों को जानते हैं। ये लोग कभी भारतीय मुस्लिमों को जानना ही नहीं चाहते।

 कभी किसी दोस्त ने यहाँ लिखा था आप एक भारतीय मुस्लिम से दशहरा त्यौहार ,दीपावली त्यौहार ,होली त्यौहार के बारे में पूछेंगे तो वो सब कुछ बता देंगे ,यहाँ तक की हिन्दुओं के आराध्य भगवान राम के बारे में भी कोई भी मुस्लिम बता देंगे। देश के सभी मुस्लिम सभी हिन्दू देवी देवताओं के बारे में जानकारी रखते है। यहाँ तक की त्योहारों में हिन्दुओं के पूजा में आने वाले सामान भी बेचते हैं। अब आप किसी हिन्दू से पूछिए मुस्लिम त्योहारों इस्लामी नया वर्ष - 1 मुहरम,आशूरा 10 मुहरम ,मीलाद उन-नबी ,शब-ए-मेराज ,शब-ए-बारात,रमज़ान (महीना),शब-ए-क़द्र या लैलतुल क़द्र ,जुमातुल विदा,ईद उल-फ़ित्र,ईद-उल-अज़हा या बक्रीद - ज़ु अल-हज्जा या पैगंबर मोहम्मद,ईमाम हुसैन इसमें से किसी एक के बारे में भी कुछ जानते हैं। असल में आप जानना ही नहीं चाहते। क्योंकि जो गोबर भरा हुआ है आपके दिमाग में आपको दूसरे धर्म के बारे में सोचने को ही नहीं दे रही हैं।

 आप मुस्लिमों को बीफ खाने वाले ,चार बीवियां रखने वाले ,अपनी बीवियों को मुंह पर ही तीन तलाक देने वाले ही सोच कर रखे हो। जबकि ऐसा करने वाले लगभग न के बराबर है। इससे ज्यादा ये कुरुतियां तो आपके धर्म में है लेकिन आप अपने धर्म को भला क्यों बुरा बोलेंगे वह तो श्रेष्ठ है। नागा बाबा अश्लीलता नहीं फैलाते ,काली को आप बलि में भैस ,बकरा नहीं चढ़ाते ,घास पर गोमूत्र डालने से वो जल जाती है लेकिन आपके पेट में जाते ही वो गंगा जल से भी पवित्र हो जाता है ,हिन्दू अपनी पत्नियों को सात जन्म से पहले नहीं छोड़ते। आपके दिल और दिमाग में जो गंदगी जो भरी हुई है वो किसी बड़े शहर के बाहर पड़े कूड़े के ढेर से भी ज्यादा है,और इसे साफ भी नहीं किया जा सकता। आप नफरत बांटिए हम मोहब्बत बांटा करेंगे।
Vikram Singh Chauhan जी की वाल से।

एक 16 साल के एक मुसलमान लड़के को लोकल ट्रेन में भीड़ ने पीट पीट कर मार डाला। अब लोग बोल रहे हैं इसे साम्प्रदायिक रंग नहीं दिया जाये। लेकिन भीड़ का शिकार सिर्फ बेगुनाह मुसलमान क्यों हो रहे हैं? अख़लाक़ के बाद से हत्या का दौर जारी है। दरअसल इस भीड़ का नेतृत्व सत्ता में बैठे लोग कर रहे हैं ,उनके मुसलमानों को लेकर दिए जा रहे बयान कर रहे हैं ,टीवी न्यूज़ चैनल कर रहे हैं, उनके बड़बोले नेता मंत्री कर रहे हैं ,कथित योगी ,गुरु और बाबा कर रहे हैं। इन सबने मिलकर बहुसंख्य हिन्दू को मुसलमानों के खिलाफ उकसाया है और उकसा रहे हैं। इस मासूम की मौत के लिए ये सब जिम्मेदार हैं। जिन लोगों ने उस युवक को मारा उन्हें उनकी टोपी से दिक्कत थी जो मुस्लिम भाई हमेशा पहनते हैं। पहले खान पान ,फिर दाढ़ी और अब टोपी सबसे दिक्कत है। कोई मुसलमान गाय पाल रहा होगा वो भी अब बंद कर दिया होगा। हे राम ये क्या हो गया इस देश में !!

Ramshanker Tiwari
हर शहर में इस प्रकार के हिन्दू-अतिवाद , गुंडागर्दी का विरोध होना चाहिये । ऐसे टी वी चेनलों, साधुओं , योगियों , नेताओं को बेनक़ाब करना पड़ेगा । हिन्दू मुसलमान दोनों को आगे आना पड़ेगा ।

पहले ऐसा तो कभी नहीं था मेरा यह देश।

देश निर्माण यज्ञ में देशव्यापी NRC का एक फायदा तो होगा कि एक झटके में करोड़ों लोग बिना शर्त, बिना ना-नुकुर, बिना शिकायत, अमानवीय परिस्थितियों में भी काम करने के लिए तैयार मिल सकते हैं। तमाम लोग यह साबित करने में असफल रहेंगे कि उनके बाप दादा भारतीय ही थे और अचानक नागरिक से अनागरिक बन जाएंगे। ये लोग अधिकारविहीन अवैध नागरिक हो जाएंगे। चूंकि CAB तो विदेश से आने वालों पर लगेगा तो ये लोग CAB के जरिये शरणार्थी भी नहीं बनाए जा सकेंगे। उनमें से चुनिंदा लोग ही केवल शरणार्थी भर का दर्जा ही हासिल कर पाएंगे जिनके कि अधिकार सीमित ही होते हैं। बस आप तो इतनी खैर मनाते रहिए कि इस बाहर होने के प्रकिया में आप और आप के अपने अवैध नागरिक बनने से कैसे बचे रह पाएंगे क्योंकि असम में तो सुनते हैं कि पूर्व सैन्यकर्मी, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिक रूप से सक्रिय, पीढ़ियों से रह रहे आदि तमाम प्रकार के लोगों के परिवार के लोग भी चपेटे में आ ही गए। यह भी उनका एक नोटबंदी टाईप मास्टरस्ट्रोक ही है।

मौका ए ग़नीमत है नार्थ ईस्ट सुलग उठा है उनकी थिंकिंग भले ही बाकी भारत से अलग हो मगर टारगेट वही है जो हम सबका है CAB, अलीगढ़ और देवबंद ने सबसे पहले बिगल फूंका है मुबारकबाद, देवबंद के कायम मुकाम जमीअत मैदान में डटी हुई है और जमीअत की ताकत जमीअत का कैडर देवबंद स्टूडेंट्स से कहीं ब्राड है। देवबंद के तलबा पढ़ाई पर फोकस करें, तलबा के वालिदैन जमीअत के बैनर तले मैदान में हैं। जामिआ दिल्ली ने आज कुरबानी की अज़ीम मिसाल पेश की है JNU की ताकत के साथ मिलकर जामिआ भारत की नई तारीख लिखेगा इन्शाल्लाह

कांग्रेस फार्म में आ चुकी है बताने की ज़रूरत नहीं कि कांग्रेस का प्रोटेस्ट में होना कितनी बड़ी मोरल पावर बूस्टिंग कर सकता है। मजलिस के कैडर ने पहली बार भारत के किसी मेन स्ट्रीम आंदोलन में ज़बरदस्त हिस्सा लिया है मजलिस को मुख्य धारा में आने की बहुत बधाई। समाजवादी पार्टी भी मैदान में निकलने की तैयारी कर रही है अखिलेश यादव नौजवान नेता हैं अखिलेश की मौजूदगी आंदोलन को नई ऊर्जा प्रदान करेगी। आने वाले दिनों में दिल्ली की ज़िम्मेदारी बढ़ने वाली है भारत के अलग-अलग हिस्सों से आंदोलन कारी दिल्ली पंहुचेंगे, ऐसे में दिल्ली को मेजबानी का भारी भरकम बोझ उठाना है। यही मौका है अभी नहीं तो कभी नहीं। दिल्ली को भर डालो, हर सड़क हर गली बस आंदोलन ही आंदोलन, दिल्ली की आवाज़ पूरी दुनिया में गूंजती है।

#CAB परेसान तो मुस्लिम को करेगा लेकिन डसेगा भारत की अर्थव्यवस्था को, या कहिये तो भारत को डसना शुरूकर चुका है। नार्थ ईस्ट के बदे हिस्से का कारोबार ठप है। देश के बाकि जगहों में भी लोग आर्थिक गतिविधि छोड़कर प्रोटेस्ट कर रहे है। दिक्कत तो तब आएगा जब #NRC का ऐलान होगा तब देश की जनता सब काम छोड़कर कागज पत्तर सही करने में लग जायेगी। लोग अनुत्पादक काम के लिए लम्बी लम्बी छुट्टी लेने लगेंगे। गरीब लोगों  पर पहाड़ ही टूट पड़ेगा उनको कागज निकालने पड़ेंगे जिसके लिए एक तो बाबू साहेब और दलालो को बड़ी घुस देनी पड़ेगी जिससे उनका वोटर कार्ड और पुराना राशन कार्ड या अन्य कागज मिल पाए। इसको बनवाने के लिए घुस और सरकारी खर्चे के अलावा अपना काम भी छोड़ना पड़ेगा और साथ ही साथ आने जाने में पैसा अलग से खर्च होगा।

मतलब गरीबो का कमर तोड़ देगी। गरीबो को ये सब काम सूद पर पैसे लेकर भी करना और करवाना होगा। इन सबका बहुत ही बुरा असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। #नोटबन्दी , #GST के बाद देश की अर्थव्यवस्था के लिए तीसरा और सबसे बड़ा अभिशाप साबित होने वाला है। बाकि मंदी, अत्यंत गरीबी और लॉ एंड आर्डर का रिलेशन तो सबको पता होगा ही। वैसे भी कहा जाता है, "मरता क्या नही करता"




बसरा में एक इंतिहाई हसीनो जमील औरत रहा करती थी- लोग उसे शअवाना के नाम से जानते थे- ज़ाहिरी हुस्नो जमाल के साथ साथ उसकी आवाज़ भी बहुत खूबसूरत थी- अपनी खूबसूरत आवाज़ की वजह से वो गायकी और नोहा गरी में मशहूर थी- बसरा शहर में खुशी और गमी की कोई मजलिस उसके बगैर अधूरी तसव्वुर की जाती थी- यही वजह थी कि उसके पास बहुत सा मालो दौलत जमा हो गया था- बसरा शहर में फिस्को फुजूर के हवाले से उसकी मिसाल दी जाती थी- उसका रहन सहन अमीराना था,वो बेशक़ीमती लिबास ‌ज़ेबतन करती और ज़ेवरात से बनी संवरी रहती थी-
एक दिन वो अपनी रूमी और तुर्की कनीज़ों के साथ कहीं जा रही थी- रास्ते में उसका गुज़र हज़रत सालेहुल मिरी علیہ الرحمہ के घर के क़रीब से हुआ-

आप अल्लाह ﷻ के बरगज़ीदा बंदों में से थे- आप बा अमल आलिमे दीन और आबिदो ज़ाहिद थे- आप अपने घर में लोगों को वअज़ इरशाद फ़रमाया करते थे- आपके वअज़ की तासीर से लोगों पर रिक़्क़त तारी हो जाती और वो बड़ी ज़ोर ज़ोर से आहो बका शुरू कर देते और अल्लाह ﷻ के खौफ से उनकी आंखों से आंसूओं की झड़ियां लग जातीं- जब शअवाना नामी वो औरत वहां से गुज़रने लगी तो उसने घर से आहो फुगां की आवाज़ें सुनीं- आवाज़ें सुनकर उसे बहुत गुस्सा आया- वो अपनी कनीज़ों से कहने लगी:
"ताज्जुब की बात है कि यहां नोहा किया जा रहा है और मुझे इसकी खबर तक नहीं दी गई-"
फिर उसने एक खादिमा को घर के हालात मालूम करने के लिए अंदर भेज दिया- वो लौंडी अंदर गई और अंदर के हालात देखकर उस पर भी अल्लाह ﷻ का खौफ तारी हो गया और वो वहीं बैठ गई- जब वो वापस ना आई तो शअवाना ने काफी इंतज़ार के बाद दूसरी और फिर तीसरी लौंडी को अंदर भेजा मगर वो भी वापस ना लौटी- फिर उसने चौथी खादिमा को अंदर भेजा जो थोड़ी देर बाद वापस लौट आई और उसने बताया कि:
"घर में किसी के मरने पर मातम नहीं हो रहा बल्कि अपने गुनाहों पर आहो बका की जा रही है,लोग अपने गुनाहों की वजह से अल्लाह ﷻ के खौफ से रो रहे हैं-"

शअवाना ने ये सुना तो हंस दी और उनका मज़ाक़ उड़ाने की नियत से घर के अंदर दाखिल हो गई- लेकिन क़ुदरत को कुछ और ही मंज़ूर था- ज्यूं ही वो अंदर दाखिल हुई अल्लाह ﷻ ने उसके दिल को फेर दिया- जब उसने हज़रत सालेहुल मिरी علیہ الرحمہ को देखा तो दिल में कहने लगी:
"अफसोस ! मेरी तो सारी उम्र ज़ाया हो गई, मैंने अनमोल ज़िंदगी गुनाहों में अकारत कर दी,वो मेरे गुनाहों को क्यूंकर मुआफ फरमाएगा?"
इन्ही ख्यालात से परेशान होकर उसने हज़रत सालेहुल मिरी علیہ الرحمہ से पूछा:
"अय इमामुल मुस्लिमीन ! क्या अल्लाह ﷻ नाफरमानों और सरकशों के गुनाह भी मुआफ फरमा देता है?"
आपने फ़रमाया:
"हां ! ये वअज़ो नसीहत और वादे वईदें सब उन्ही के लिए तो हैं ताकि वो सीधे रास्ते पर आ जाएं-"
इस पर भी उसकी तसल्ली ना हुई तो वो कहने लगी:
" मेरे गुनाह तो आसमान के सितारों और समंदर के झाग से भी ज़्यादा हैं-"
आपने फ़रमाया:
"कोई बात नहीं ! अगर तेरे गुनाह शअवाना से भी ज़्यादा हों तो भी अल्लाह ﷻ मुआफ फरमा देगा-"
ये सुनकर वो चीख पड़ी और रोना शुरू कर दिया और इतना रोई कि उस पर बेहोशी तारी हो गई-

थोड़ी देर बाद जब उसे होश आया तो कहने लगी:
"हज़रत ! मैं ही वो शअवाना हूं जिसके गुनाहों की मिसालें दी जाती हैं-"
फिर उसने अपना क़ीमती लिबास और गिरां क़द्र ज़ेवर उतार कर पुराना सा लिबास पहन लिया और गुनाहों से कमाया हुआ सारा माल गुरबा में तक़सीम कर दिया और अपने तमाम गुलाम और खादिमाएं भी आज़ाद कर दीं-
फिर अपने घर में मुक़ीद होकर बैठ गई- उसके बाद वो शबो रोज़ अल्लाह ﷻ की इबादत में मसरूफ रहती और अपने गुनाहों पर रोती रहती और उनकी मुआफी मांगती रहती- रो रोकर रब ﷻ की बारगाह में इल्तिजा करती:
"अय तौबा करने वालों को महबूब रखने वाले और गुनाहगारों को मुआफ फरमाने वाले ! मुझ पर रहम फरमा, मैं कमज़ोर हूं तेरे अज़ाब की सख्तियों को बर्दाश्त नहीं कर सकती,तू मुझे अपने अज़ाब से बचा ले और मुझे अपनी ज़ियारत से मुशर्रफ फरमा-"
उसने इसी हालत में चालीस साल ज़िंदगी बसर की और इंतिक़ाल कर गई..!!!

रात के 1 बज रहे थे और जामिया मिलिया इस्लामिया में पड़ रही बहनों ने मोर्चा थामा हुआ था
हमारी बहेने #CAB बिल के खिलाफ और इस तानाशाही सरकार के खिलाफ लड़ रहीं हैं

आपके के जज़्बों को सलाम हमारी बहेनों
वो कह रहा है, कुछ दिनों में मिटा के रख दूंगा नस्ल तेरी
है उसकी फितरत डरा रहा है, है मेरी आदत डरा नहीं हूं
~राहत इन्दौरी

ये #कश्मीर_नहीं_आसाम" है!
तो फिर ये जल क्यूँ रहा है? जबकि #भाजपा कह रही है कि उसने राष्ट्रहित में "ऐतिहासिक" कार्य करा है??
#CAB_is_anty_India


आप सभी कल जुमे के वक़्त अपनी अपनी #मस्जिदों_के_इमामों से कहें कि #NRC और #CAB को रद्द करने और इसमें कोई हिस्सा न लेने का ऐलान करें, हो सके तो जुमे के बाद सभी एहतिजाज करके मुखालिफ़त दर्ज कराएं। आख़िर जुमे की नमाज़ और ख़ुतबे का यह भी मक़सद है उम्मत को मौजूदा मसायल से आगाह करना और उनके हल देना.

BJP ने बहुत समय से देश में illegally आये हुए बांग्लादेशी मुसलमानों को निकालने की bogey छेड़ी हुई थी। आसाम में illegal migrants की समस्या बहुत ज़्यादा है और आसाम आंदोलन का मुद्दा भी यही था। खैर, BJP ने अपने इस एजेंडा की पूर्ति के लिए एक और ऊटपटांग फैसला किया NRC। आसाम में NRC लागू हुआ और 18 लाख अवैध घुसपैठिये Illegal Immigrants पाये गये। BJP खुश हो गई। जब डिटेल सामने आई तो पता चला कि इन 18 लाख illegal लोगों में से 13 लाख हिन्दू हैं। अब BJP के हाथ पांव फूल गए कि ये क्या हो गया! उल्टे बांस बरेली। एक हिन्दू पार्टी ने हिन्दू घुसपैठिये ढूंढ निकाले !! अब इन्हें वापिस एक मुस्लिम majority बांग्लादेश में कैसे भेजें। तो फिर आया CAB

इसमें ये प्रावधान लाया गया कि जो भी हिन्दू, सिख, जैन यानी कि गैर मुस्लिम, पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान से आएगा, उसको भारत की नागरिकता मिल जाएगी। इसका फायदा ये होगा कि आसाम में जो 13 लाख बंगाली हिन्दू illegal immigrants अवैध घुसपैठिये बांग्लादेश से आये थे, उन सब को अपने आप automatically भारत की नागरिकता citizenship मिल जाएगी। और भी जो भी हिन्दू या सिख पाकिस्तान अफगानिस्तान या बांग्लादेश में बचे हुए हैं, वो भी सब भारत आ जाएंगे और उन सब को भी भारत की नागरिकता मिल जाएगी।

इसके कई नुकसान भी होंगे। दुनिया में भारत अब एक धर्म निरपेक्ष देश नहीं माना जायेगा और विदेशों में यह बात पुख्ता हो जाएगी कि भारत में धर्म के आधार पर फैसले होते हैं। लेकिन असली समस्या खड़ी होगी आसाम और नॉर्थ ईस्ट में। आसाम में लोकल अहोम लोग अपने को बंगाली हिंदुओं से अलग और ऊंचा समझते हैं। असम आंदोलन भी सारे गैर अहोम यानी बंगाली शरणार्थियों के खिलाफ था। अब BJP जब इन 13 लाख बंगाली घुसपैठियों, जो बांग्लादेश से आए हुए हैं, उनको भारत की नागरिकता देगी और आसाम में बसायेगी, तो आसाम में जो बवाल होगा, वह समय बताएगा। इसी तरह नॉर्थ ईस्ट राज्य christian majority या tribal हैं, वो भी हिन्दू घुसपैठ के खिलाफ हैं। वहां भी इसका घोर विरोध होगा। पर वहां लोक सभा की 12-15 सीटें हैं। BJP वहां के नुकसान को कम पढ़े लिखे और कांवड़, कुम्भ में उलझे हुए यूपी, बिहार की 120 सीटों में पूरा करेगी। टीवी चैनल यह सब नहीं बताएंगे। यह है CAB की सच्चाई और सीएबी का असली मकसद। सारा खेल चुनाव जीतने का है। देश गया तेल लेने..

झंझोड़ कर रख देने वाली एक तस्वीर, 23 साल बाद आतंकवाद के आरोप में बेकसूर साबित होने वाला एक बेटा
जब अपने बाप की कब्र पर जाता है, कहने को 23 साल लेकिन है हकीकत में 8395 दिन 201480 घण्टे 12088800 सेकेंड काल कोठरी में बन्द 
टाइम्स ऑफ़ इस्लाम
नई दिल्ली: 23 साल जेल में कड़ी मशक्कत झेलने वाले छह मुस्लिम पुरुषों को बरी कर दिया है,राजस्थान उच्च न्यायालय ने सोमवार को दौसा बम ब्लास्ट में अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा विस्फोट को अंजाम देने की साजिश के साथ किसी भी संबंध को साबित करने में विफल रहा है। दौसा जिले के महवा थाना क्षेत्र के अंतर्गत सामलेटी के पास शाम 4 बजे आगरा-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक राज्य द्वारा संचालित बस में विस्फोट होने से जयपुर और भरतपुर के लोगों सहित 14 यात्रियों की जान चली गई और 39 अन्य घायल हो गए थे।

पिछले 23 साल से जमानत नहीं मिलने पर सभी लोग जेल में बंद थे। उन्हें 2014 में एक स्थानीय अदालत ने दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सोमवार को मुक्त किए गए छह लोगों के नाम हैं: जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के जावेद खान, अब्दुल गनी, लतीफ अहमद, मोहम्मद अली भट, मिर्जा निसार हुसैन (सभी श्रीनगर से) और उत्तर प्रदेश के आगरा के रहने वाले राहुल बेग।

हालाँकि, जस्टिस सबीना और गोवर्धन बर्दर की खंडपीठ ने धमाके में शामिल होने के लिए पप्पू उर्फ सलीम को पेशे से डॉक्टर अब्दुल हमीद की मृत्युदंड और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा। “उन वर्षों को कौन वापस लाएगा” द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्टों के अनुसार, पुरुषों ने मंगलवार को जेल से बाहर आने के बाद बताया कि वे एक-दूसरे से अनजान थे जब तक कि सीआईडी ने उन्हें मामले में आरोपी नहीं बना दिया।

गनी कहते हैं, “हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि हम जिस दुनिया में कदम रख रहे हैं।” जब हम अंदर थे, तो हमने खोए हुए रिश्तेदारों को छोड़ दिया मेरी मां, पिता और दो चाचा गुजर गए। हम बरी हो चुके हैं, लेकिन उन वर्षों को कौन वापस लाएगा, ”बेग कहते हैं।

टाइम्स ऑफ़ इस्लाम
आज जो औरते मोर्डेन सोसाइटी में रहती है और मोर्डेन ज़माने के हिसाब से बुर्के, हिजाब का विरोध करती है, वो जरा आँख खोल कर इस पोस्ट को पढ़े और सोचें की बिना बुर्के की आज़ादी तुम लोगो को जहन्नम के सिवा कुछ न देगी | आज की लड़कियां, औरतो में तरह तरह की बुराईया जन्म ले चुकी है जिस की सब से बड़ी वजह दीन की तालीम से दुरी है | इसके अलावा टीवी फिल्में देखने का आम चलन, औरतो और लड़कियो का बेपर्दा सज धज के सड़को पर खुले आम घूमना ये इस्लाम की तालीम नही है | ये मोर्डेन जमाना तुमको तबाह कर देगा और जो लड़की या औरत हिजाब में रहती है उसको ये मोर्डेन ज़माने की लडकिया बहेन जी समझती है |

और कुछ औरते ऐसा तंग (fit) बुर्का पहते है जिस्से जिस्म कि बनावट नज़र आती है , आखिर बुर्के मे यह फैशन कहां से ले आये? देखो बेपर्दा और मोर्डेन ज़माने की सोच रखनी वाली लड़कियों और औरतों क़ुरआन पाक और हदीस शरीफ में क्या हुक्म है तुम लोगो के लिए !
 
रब तआला इर्शाद फरमाता है...
मुसलमान औरतो को हुक्म दो अपनी निगाहे कुछ नीची रखे, और पारसाई की हिफाज़त करे और अपने शरीर की जिस्म की बनावट न दिखाए, मगर जो खुद ही जाहिर है और दुप्पटा अपने गिरेबानो पर डाले रहे और अपना सिंगार जाहिर न करे ! अपने शौहरों पर जाहिर कर सकते है l
[हवाला : कन्जुल ईमान , पारा 18 , सूरह नूर, आयत 31]

इस आयते करीमा में अल्लाह ने साफ़ साफ़ हुक्म दिया है की अपनी निगाहे नीची रखे, अपना बनाव सिंगार अपने शौहर के लिए ही करे। गैर मर्दों के लिए नही, अपने सीने और सर पर दुपट्टे डाले रहे !
लेकिन आज मामला ही उल्टा नज़र आ रहा है अक्सर औरते घर में नोरमल रहेंगी लेकिन बाहर निकलना होता है तो खूब बन संवर कर निकलती है गोया गन्दगी उनके शौहर के लिए और सिंगार गैर मर्दों के लिए |
 
नोट:* गलती सिर्फ उन औरतों कि नही है,गलती उनके मां-बाप ,शोहर और भाई कि है,जो यह सब देखकर भी उन्हे नही रोकते ,क्या हो गया है तुम्हारी गैरत को शर्म आती तुमको नही,याद रखो बरोज़ महशर तुमसे इसकी पूछ होगी तब क्या कहोगे? अब भी वक्त है अपने माहौल को सुधारो|
पोस्ट का मतलब सिर्फ इस्लाह है किसी का दिल दुखाना नही है

टाइम्स ऑफ़ इस्लाम
हामिला औरत को चाहिए कि हमेशा खुश रहे, रोज़ाना ग़ुस्ल करे,पाक साफ कपड़े पहने,ग़िज़ा हलकी मगर मुक़व्वी खाये,खूबसूरत तस्वीरें देखें, बे वक़्त खाने पीने या सोने जागने से परहेज़ करे, फलों का इस्तेमाल ज़्यादा करे खासकर संगतरा कि संगतरा खाने से बच्चा खूबसूरत होगा, नमाज़ पढ़ना ना छोड़े और क़ुरान की तिलावत करती रहे खुसूसन सूरह मरियम की,अगर चाहते हैं कि आपका बच्चा आपका फरमाबरदार रहे तो सबसे पहले आपको नेक बनना पड़ेगा क्या सुना नहीं कि हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु मां के पेट में ही 18 पारे के हाफिज़ हो गए थे मतलब साफ है आप जो भी करेंगे उसका सीधा असर आपके बच्चे पर पड़ेगा लिहाज़ा झूट चुग़ली बदनज़री गाना बजाना गाली गलौच हराम ग़िज़ा से परहेज़ी और तमाम मुंकिराते शरइया से बचें

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जब इंसान अपनी मौत को बहुत करीब से देखता है तो उस वक्त उसे 2 लोगों की याद सबसे ज्यादा आती है। एक वो जिससे वो सबसे ज्यादा प्यार करता है और दूसरा वो जिसपे सबसे ज्यादा भरोसा होता है। मुशर्रफ अली के सैकड़ों रिश्तेदार रहे होगे लेकिन इस भाई ने मौत के बक्त अपने दोस्त मोनू अग्रवाल को याद किया। इससे ये पता चलता है मुशर्रफ अली को सबसे ज्यादा ऐतबार अपने दोस्त मोनू अग्रवाल पर था। मुशर्रफ अली के आखिरी अलफ़ाज़ थे मै जा रहा हूँ भैय्या मेरे बीबी बच्चों का ख्याल रखना। सबसे महत्वपूर्ण मुशर्रफ ने अपने अन्तिम समय में कर्ज अदायगी की मंशा रखी। इससे ये पता चलता है ये भाई कितना ईमानदार और नेकदिल इंसान था। ये दोस्ती नफ़रत के सौदागरों के मुँह पर एक तमाचा है। 

दोस्ती का कोई धर्म नहीं होता आपस में कितना प्यार रहा होगा जो जिन्दगी के आखिरी लम्हों में याद क्या है। इंडिया वालों देखो ये होती है मोहब्बत इस भाई ने अपने हिन्दू भाई पर विश्वास किया ऐसी मोहब्बत ऐसा ही अपना पन सभी हिंदु मुस्लिम भाइयो को बना कर रखना चाहिए यही है हमारा असली हिन्दुस्तान। अल्लाह पाक मरहूम की मगफिरत फरमाए। माहिरा का दिल से सलाम आप दोनों भाईयों की दोस्ती को। मेरी सभी अमनपरस्त भाईयों से गुजारिश है इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। 
-Mahira Khan

सोशल मीडिया की सेलिब्रिटी मानी जाने वाली किरण यादव ने एक और पोस्ट लिखकर सनसनी फैला दी है. सच बहुत कडवा होता है यह फिर एक बार साबित हुआ है. हाल ही में सोशल मीडिया पर 10 लाख फॉलोवर वाली किरण यादव को मीडिया ने भी खूब सराहा. किरण यादव अपने बेबाक कलम की वजह से फेसबुक ट्विट्टर पर चर्चा का विषय बनी हुई है. इस बार उन्होंने अपने फॉलोवर के बारे में एक बात बहुत जबरदस्त की, उन्होंने कहा की मेरे फॉलोवर हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतिक है. आईये देखते है किरण यादव ने इस बार क्या कहा.

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हिन्दुस्तान में हमारे मुस्लिम चाचा भाई नें इतिहास रच दिया हैं कुतुब मीनार से लेकर लालकिला से ताज महल से मिसाइल मौन तक हमारे मुस्लिम चाचा भाई की देन हैं 70 साल से हम सब हिन्दू क्या किया लूट भ्रष्टाचार कोई एक उपलब्धियाँ बता दे जो हम सब हिन्दू हासिल की हैं 10 साल सिख प्रधानमंत्री थें उनकी उपलब्धियाँ देखना हैं तो जम्मू से काश्मीर तक असम तक चले जायें दिख जायेगी तीन साल में एक भी उपलब्धियाँ बता दे में अपनी गला काट कर अापके चरणों में रख दूँगी हम सब हिन्दुस्तानी किस से लड़ रहे हिन्दू मुस्लिम से हम सब हिन्दुस्तानी को भुखमरी से बेरोजगारी भ्रष्टाचार से लड़ने चाहिए लड़ रहे हैं हिन्दू मुस्लिम से सोशल मीडिया के ज्ञानी मोदी या दुनियाँ के किसी भी नेता या एक्टर की पोस्ट दिखा दो जिसका 45 हजार से उपर साझा किया हो यह मेरी friends followers नें world records बनाए हैं लेकिन दिखाने में शर्म आ रहा है आपको यह हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक है अभी भी सम्भलने की मैका हैं



CAB:आप कल्पना नहीं कर सकते कि कितनी लंबी लाइनें लगेंगी. महीनों तक मुल्क अस्त व्यस्त रहेगा. बरसों से अपने गांव कस्बों से दूर रह रहे लोग, सारे कामकाज छोड़कर जमीनों की मिल्कियत और रिहाइश के प्रमाण लेने के लिए अपने गांव आएंगे. इनमें से कुछ यह भी पाएंगे कि पटवारी लेखपाल से सांठगांठ करके लोगों ने जमीनों की मिल्कियत बदल दी है. बहुत बड़े पैमाने पर संपत्ति के विवाद सामने आएंगे.

याद रखिए कि #आधारकार्ड और #पैनकार्ड दिखाकर आप अपनी नागरिकता सिद्ध नहीं कर सकते. जो लोग यह समझ रहे हैं कि NRC के तहत सरकारी कर्मचारी घर-घर आकर कागज देखेंगे, उन नादानों को यह मालूम होना चाहिए कि NRC के तहत नागरिकता साबित करने की जिम्मेदारी व्यक्ति की होगी, सरकार की नहीं! इसके अलावा जिसकी नागरिकता जहां से सिद्ध होगी, उसे शायद हफ्तों वही रहना पड़े.

करोड़ों लोगों के कामकाज छोड़कर लाइनों में लगे होने से देश का उद्योग व्यापार और वाणिज्य, और सरकारी गैर सरकारी दफ्तरों का कामकाज पर असर पड़ेगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक आसाम में सरकार में NRC को लागू करने में 16 सौ करोड़ रुपए खर्च किया है जबकि अपनी नागरिकता को प्रमाणित करने में लोगों ने भी बहुत खर्च किए हैं. पूरे देश में यह राशि कितनी होगी?

सोचिए इस अनुत्पादक खर्च का इकॉनमी पर क्या असर पड़ेगा? नोटबंदी और GST का इकॉनमी पर असर तो देख ही रहे हैं आप। इक्का-दुक्का घुसपैठियों को छोड़कर ज्यादातर जेनुइन लोग ही परेशान होंगे. श्रीलंकाई, नेपाली और भूटानी मूल के लोग, जो सदियों से इस पार से उस पार आते जाते रहे हैं, उन्हें अपनी नागरिकता सिद्ध करने में दांतो से पसीना आ जाएगा. जाहिर है, इनमें से ज्यादातर गैरमुस्लिम ही होंगे.

लगातार अपनी जगह बदलते रहने वाले #आदिवासी समुदायों को तो सबसे ज्यादा दिक्कत आने वाली है. वन क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोग वहां की जमीनों पर वन अधिकार कानून के तहत अपना कब्जा तो साबित कर नहीं पा रहे हैं, नागरिकता कैसे साबित करेंगे? दूरदराज के पहाड़ी और वनक्षेत्रों में रहने वाले लोग, घुमंतू समुदाय, अकेले रहने वाले बुजुर्ग, अनाथ बच्चे, बेसहारा महिलाएं, विकलांग लोग और भी प्रभावित होंगे.

नागरिकता सिद्ध करने में सबसे ज्यादा दिक्कत उसे होगी, जो सबसे ज्यादा वंचित है! और हां, जो लोग अपनी नागरिकता प्रमाणित नहीं कर पाएंगे उनके लिए देश में डिटेंशन सेंटर बनेंगे. इन डिटेंशन सेंटर्स को बनाने और चलाने में देश के अरबों खरबों रुपए खर्च होंगे. कुल मिलाकर देश का सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य अस्त-व्यस्त हो जाएगा. अगर बात समझ में आ गई हो, तो इस पोस्ट को जैसे चाहे, आगे बढ़ा दीजिए. दिल से निकली बात.

लंदन में ये आदमी ख़ुदकुशी करने की ग़र्ज़ से छलांग लगाने जा रहा था। एक अजनबी आदमी ने उसे देखा और उसके पैर पकड़ लिए और उसे मनाता रहा के ऐसा ना करें। कुछ देर बाद कई और अजनबी लोग जमा हो गये। किसी ने उसकी पतलून के बेल्ट को पकड़ा और किसी ने उसे रस्सी से बाँध दिया ताकि वो कूद ना सके।

एक तरफ ऐसे समाज की तस्वीर है जहां एक भीड़ एक अकेले इंसान को बचा रही है। दूसरी तरफ एक ऐसा समाज बन चुका है जहाँ एक भीड़ एक अकेले इंसान बेरहमी से जान ले लेती है। इस भीड़ के लिए मारने के लिए धर्म, ज़ात या कुछ भी कारण बनता जा रहा है।

जो समाज दुसरे इंसानों की क़द्र करता है वो फलता फूलता है और जो समाज दूसरे इंसानों की क़द्र नहीं करता वो तबाह ओ बर्बाद होता है।
जय हिंद

ये तहरीर पढ़ने वाली तमाम बहनो से मेरी एक अपील है, ये बाते अपने पल्लू से बांध लें.. तमाम बहन, ये मान लें कि आपके भाई, आपके वालिद, वह वाहिद मर्द जात हैं जो आपकी एक जरा सी तकलीफ पर तिलमिला उठते हैं। उनकी इज्जत करों और तुम उनका गुरुर, मान, अभिमान हो उनका सम्मान करो। ना कोई आपको आपके भाई से ज़्यादा महफूज रख सकता है और ना ही कोई आपके बाप से ज्यादा मुहब्बत कर सकता है।

बाकि आप सिर्फ सर पर से दुपट्टा उतारोगी, जमाना आपके तन पर पहना हर कपड़ा नोच निकालने के लिए तैयार बैठा है। ये सोशल मीडिया पर बैठे मीठे शैतान और जिन्नात आपकी सोच को निचोड़ खाने के लिए हरदम तैयार बैठे हैं। जो फेसबुक और वाट्सअप पर आपसे मीठी-मीठी बाते करके उल्लू बनाते हैं, वो भी सिर्फ मौके की तलाश में रहते हैं। इस मतलबी दुनिया में कोई मर्द किसी भी लड़की से सिर्फ एक ही ख़्वाहिश रखता है, उसके तन की,, सिर्फ एक भाई और आपके वालिद ही है, जो हर वक्त आपकी इज्जत की फिक्र करते हैं।

तुम्हें भी वास्ता है दीन का, भाई और बाप की इज्जत को पार्क और होटल पर नीलाम न करो। सिर्फ आप एक बात को ध्यान में रखे जब तुम किसी लड़के के साथ पार्क, होटल, मॉल, सिनेमा में जाती हो तो अपने वालिद और भाई की इज्जत को तार-तार करती हो। आज के आशिको के चक्कर में हजारो बहन-बेटियाँ अपनी जिंदगी खराब कर बैठी हैं। बाकि कभी कोठों पर बैठी तवायफों की कहानियां सुन लेना, वह भी झूठी मुहब्बत का शिकार होकर यहाँ तक पहुँची है।

हर कोठे की असलीयत, आपको ये मिलेंगी, जो मां-बाप के जबर से बचने के लिए महबूब की पनाह में जाने के लिए घर से निकलीं थीं और अब किसी की भी पनाह के काबिल नहीं रहीं। लड़के शादी करने के बाद, आपके जिस्म को दोस्तों के हवाले करते है, फिर शुरु होता है, हाई प्रोफाइल बिजनेस, इससे निकलना नामुमकिन है, आप अय्याशी का खिलौना बन जाओगी, फिर कहाँ फरीयाद करोगी।
-Sifa Arzoo

शादी के बाद विदाई का समय था, नेहा अपनी माँ से मिलने के बाद अपने पिता से लिपट कर रो रही थीं। वहाँ मौजूद सब लोगों की आंखें नम थीं। नेहा ने घूँघट निकाला हुआ था, वह अपनी छोटी बहन के साथ सजाई गयी गाड़ी के नज़दीक आ गयी थी। दूल्हा अविनाश अपने खास मित्र विकास के साथ बातें कर रहा था। विकास -'यार अविनाश... सबसे पहले घर पहुंचते ही होटल अमृतबाग चलकर बढ़िया खाना खाएंगे...

यहाँ तेरी ससुराल में खाने का मज़ा नहीं आया।' तभी पास में खड़ा अविनाश का छोटा भाई राकेश बोला -'हा यार..पनीर कुछ ठीक नहीं था...और रस मलाई में रस ही नहीं था।' और वह ही ही ही कर जोर जोर से हंसने लगा। अविनाश भी पीछे नही रहा -'अरे हम लोग अमृतबाग चलेंगे, जो खाना है खा लेना... मुझे भी यहाँ खाने में मज़ा नहीं आया..रोटियां भी गर्म नहीं थी...।' अपने पति के मुँह से यह शब्द सुनते ही नेहा जो घूँघट में गाड़ी में बैठने ही जा रही थी, वापस मुड़ी, गाड़ी की फाटक को जोर से बन्द किया... घूँघट हटा कर अपने पापा के पास पहुंची...।

अपने पापा का हाथ अपने हाथ में लिया..'मैं ससुराल नहीं जा रही पिताजी... मुझे यह शादी मंजूर नहीं।' यह शब्द उसने इतनी जोर से कहे कि सब लोग हक्के बक्के रह गए...सब नज़दीक आ गए। नेहा के ससुराल वालों पर तो जैसे पहाड़ टूट पड़ा... मामला क्या था यह किसी की समझ में नहीं आ रहा था। तभी नेहा के ससुर राधेश्यामजी ने आगे बढ़कर नेहा से पूछा -- 'लेकिन बात क्या है बहू? शादी हो गयी है...विदाई का समय है अचानक क्या हुआ कि तुम शादी को नामंजूर कर रही हो?' अविनाश की तो मानो दुनिया लूटने जा रही थी...वह भी नेहा के पास आ गया, अविनाश के दोस्त भी।

सब लोग जानना चाहते थे कि आखिर एन वक़्त पर क्या हुआ कि दुल्हन ससुराल जाने से मना कर रही है। नेहा ने अपने पिता दयाशंकरजी का हाथ पकड़ रखा था... नेहा ने अपने ससुर से कहा -'बाबूजी मेरे माता पिता ने अपने सपनों को मारकर हम बहनों को पढ़ाया लिखाया व काबिल बनाया है। आप जानते है एक बाप केलिए बेटी क्या मायने रखती है?? आप व आपका बेटा नहीं जान सकते क्योंकि आपके कोई बेटी नहीं है।' नेहा रोती हुई बोले जा रही थी- 'आप जानते है मेरी शादी केलिए व शादी में बारातियों की आवाभगत में कोई कमी न रह जाये इसलिए मेरे पिताजी पिछले एक साल से रात को 2-3 बजे तक जागकर मेरी माँ के साथ योजना बनाते थे... खाने में क्या बनेगा...रसोइया कौन होगा...पिछले एक साल में मेरी माँ ने नई साड़ी नही खरीदी क्योकि मेरी शादी में कमी न रह जाये... दुनिया को दिखाने केलिए अपनी बहन की साड़ी पहन कर मेरी माँ खड़ी है... मेरे पिता की इस डेढ़ सौ रुपये की नई शर्ट के पीछे बनियान में सौ छेद है.... मेरे माता पिता ने कितने सपनों को मारा होगा...न अच्छा खाया न अच्छा पीया...

बस एक ही ख्वाहिश थी कि मेरी शादी में कोई कमी न रह जाये...आपके पुत्र को रोटी ठंडी लगी!!! उनके दोस्तों को पनीर में गड़बड़ लगी व मेरे देवर को रस मलाई में रस नहीं मिला...इनका खिलखिलाकर हँसना मेरे पिता के अभिमान को ठेस पहुंचाने के समान है...। नेहा हांफ रही थी...।' नेहा के पिता ने रोते हुए कहा -'लेकिन बेटी इतनी छोटी सी बात..।' नेहा ने उनकी बात बीच मे काटी -'यह छोटी सी बात नहीं है पिताजी...मेरे पति को मेरे पिता की इज्जत नहीं... रोटी क्या आपने बनाई! रस मलाई ... पनीर यह सब केटर्स का काम है... आपने दिल खोलकर व हैसियत से बढ़कर खर्च किया है, कुछ कमी रही तो वह केटर्स की तरफ से... आप तो अपने दिल का टुकड़ा अपनी गुड़िया रानी को विदा कर रहे है??? आप कितनी रात रोयेंगे क्या मुझे पता नहीं... माँ कभी मेरे बिना घर से बाहर नही निकली... कल से वह बाज़ार अकेली जाएगी... जा पाएगी? जो लोग पत्नी या बहू लेने आये है वह खाने में कमियां निकाल रहे...

मुझमे कोई कमी आपने नहीं रखी, यह बात इनकी समझ में नही आई??' दयाशंकर जी ने नेहा के सर पर हाथ फिराया - 'अरे पगली... बात का बतंगड़ बना रही है... मुझे तुझ पर गर्व है कि तू मेरी बेटी है लेकिन बेटा इन्हें माफ कर दे.... तुझे मेरी कसम, शांत हो जा।' तभी अविनाश ने आकर दयाशंकर जी के हाथ पकड़ लिए -'मुझे माफ़ कर दीजिए बाबूजी...मुझसे गलती हो गयी...मैं ...मैं।' उसका गला बैठ गया था..रो पड़ा था वह। तभी राधेश्यामजी ने आगे बढ़कर नेहा के सर पर हाथ रखा -'मैं तो बहू लेने आया था लेकिन ईश्वर बहुत कृपालु है उसने मुझे बेटी दे दी... व बेटी की अहमियत भी समझा दी... मुझे ईश्वर ने बेटी नहीं दी शायद इसलिए कि तेरे जैसी बेटी मेरी नसीब में थी...अब बेटी इन नालायकों को माफ कर दें... मैं हाथ जोड़ता हूँ तेरे सामने... मेरी बेटी नेहा मुझे लौटा दे।' और दयाशंकर जी ने सचमुच हाथ जोड़ दिए थे व नेहा के सामने सर झुका दिया। नेहा ने अपने ससुर के हाथ पकड़ लिए...'बाबूजी।' राधेश्यामजी ने कहा - 'बाबूजी नहीं..पिताजी।' नेहा भी भावुक होकर राधेश्याम जी से लिपट गयी थी। दयाशंकर जी ऐसी बेटी पाकर गौरव की अनुभूति कर रहे थे। नेहा अब राजी खुशी अपने ससुराल रवाना हो गयी थीं... पीछे छोड़ गयी थी आंसुओं से भीगी अपने माँ पिताजी की आंखें, अपने पिता का वह आँगन जिस पर कल तक वह चहकती थी.. आज से इस आँगन की चिड़िया उड़ गई थी किसी दूर प्रदेश में.. और किसी पेड़ पर अपना घरौंदा बनाएगी।

यह कहानी लिखते वक्त मैं उस मूर्ख व्यक्ति के बारे में सोच रहा था जिसने बेटी को सर्वप्रथम 'पराया धन' की संज्ञा दी होगी। बेटी माँ बाप का अभिमान व अनमोल धन होता है, पराया धन नहीं। कभी हम शादी में जाये तो ध्यान रखें कि पनीर की सब्ज़ी बनाने में एक पिता ने कितना कुछ खोया होगा व कितना खोएगा... अपना आँगन उजाड़ कर दूसरे के आंगन को महकाना कोई छोटी बात नहीं। खाने में कमियां न निकाले... । बेटी की शादी में बनने वाले पनीर, रोटी या रसमलाई पकने में उतना समय लगता है जितनी लड़की की उम्र होती है। यह भोजन सिर्फ भोजन नहीं, पिता के अरमान व जीवन का सपना होता है। बेटी की शादी में बनने वाले पकवानों में स्वाद कही सपनों के कुचलने के बाद आता है व उन्हें पकने में सालों लगते है, बेटी की शादी में खाने की कद्र करें। अगर उपर्युक्त बातें आपको अच्छी लगे तो कृपया दूसरों से भी साझा करें.... एक कदम बेटियों के सम्मान के खातिर।

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