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मुशर्रफ अली के आखिरी अलफ़ाज़ थे मै जा रहा हूँ भैय्या मेरे बीबी बच्चों का ख्याल रखना

जब इंसान अपनी मौत को बहुत करीब से देखता है तो उस वक्त उसे 2 लोगों की याद सबसे ज्यादा आती है। एक वो जिससे वो सबसे ज्यादा प्यार करता है और दूसरा वो जिसपे सबसे ज्यादा भरोसा होता है। मुशर्रफ अली के सैकड़ों रिश्तेदार रहे होगे लेकिन इस भाई ने मौत के बक्त अपने दोस्त मोनू अग्रवाल को याद किया। इससे ये पता चलता है मुशर्रफ अली को सबसे ज्यादा ऐतबार अपने दोस्त मोनू अग्रवाल पर था। मुशर्रफ अली के आखिरी अलफ़ाज़ थे मै जा रहा हूँ भैय्या मेरे बीबी बच्चों का ख्याल रखना। सबसे महत्वपूर्ण मुशर्रफ ने अपने अन्तिम समय में कर्ज अदायगी की मंशा रखी। इससे ये पता चलता है ये भाई कितना ईमानदार और नेकदिल इंसान था। ये दोस्ती नफ़रत के सौदागरों के मुँह पर एक तमाचा है। 

दोस्ती का कोई धर्म नहीं होता आपस में कितना प्यार रहा होगा जो जिन्दगी के आखिरी लम्हों में याद क्या है। इंडिया वालों देखो ये होती है मोहब्बत इस भाई ने अपने हिन्दू भाई पर विश्वास किया ऐसी मोहब्बत ऐसा ही अपना पन सभी हिंदु मुस्लिम भाइयो को बना कर रखना चाहिए यही है हमारा असली हिन्दुस्तान। अल्लाह पाक मरहूम की मगफिरत फरमाए। माहिरा का दिल से सलाम आप दोनों भाईयों की दोस्ती को। मेरी सभी अमनपरस्त भाईयों से गुजारिश है इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। 
-Mahira Khan

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