हज़रत मुहम्मद सल्ल. एक परिचय।
न किसी काले को किसी गोरे पर, न किसी गोरे को किसी काले पर कोई बढोत्तरी हासिल हे । सब आदम की सन्तान हैँ और इन्सान होने की हेसियत से सब बराबर हैं ।
मानव समानता के यह महान विचार समस्त मानवजाति के लिए ईश्वर के अन्तिम ईशदूत हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के है, जिनका जन्म 571 ई॰ में अरब के प्रसिद्ध शहर मक्का मेँ हुआ था और 40 वर्ष की आयु में अल्लाह ने जिनको अपना नबी (प्रेषित, पैगंबर) बनाया और अपनी पवित्र वाणी कुरआन वह्रय (प्रकाशना) के माध्यम से आप पर अवतरित की ।
न किसी काले को किसी गोरे पर, न किसी गोरे को किसी काले पर कोई बढोत्तरी हासिल हे । सब आदम की सन्तान हैँ और इन्सान होने की हेसियत से सब बराबर हैं ।
मानव समानता के यह महान विचार समस्त मानवजाति के लिए ईश्वर के अन्तिम ईशदूत हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के है, जिनका जन्म 571 ई॰ में अरब के प्रसिद्ध शहर मक्का मेँ हुआ था और 40 वर्ष की आयु में अल्लाह ने जिनको अपना नबी (प्रेषित, पैगंबर) बनाया और अपनी पवित्र वाणी कुरआन वह्रय (प्रकाशना) के माध्यम से आप पर अवतरित की ।
अल्लाह की आज्ञानुसार 23 वर्ष तक आपने लोगों को सत्य धर्म की ओर बुलाया और अल्लाह का संदेश सुनाया और सन् 632 इं० में अपने मिशन के पूर्ण होने के पश्चात वापस ईश्वर से जा मिले । वर्तमान विश्व की 25 प्रतिशत जनसंख्या आपको अपना आदर्श और मार्गदर्शक स्वीकार करके आपका अनुसरण करने का प्रयत्न कर रही है और लोक परलोक में सुख शांति मुक्ति और समाधान प्राप्त करने का प्रयत्न कर रही है, आपके अनुयायियों की संख्या में दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही हे ।
आपका भी स्वागत रहेगा।
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