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नोटबन्दी , GST के बाद देश की अर्थव्यवस्था के लिए तीसरा और सबसे बड़ा अभिशाप CAA


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देश निर्माण यज्ञ में देशव्यापी NRC का एक फायदा तो होगा कि एक झटके में करोड़ों लोग बिना शर्त, बिना ना-नुकुर, बिना शिकायत, अमानवीय परिस्थितियों में भी काम करने के लिए तैयार मिल सकते हैं। तमाम लोग यह साबित करने में असफल रहेंगे कि उनके बाप दादा भारतीय ही थे और अचानक नागरिक से अनागरिक बन जाएंगे। ये लोग अधिकारविहीन अवैध नागरिक हो जाएंगे। चूंकि CAB तो विदेश से आने वालों पर लगेगा तो ये लोग CAB के जरिये शरणार्थी भी नहीं बनाए जा सकेंगे। उनमें से चुनिंदा लोग ही केवल शरणार्थी भर का दर्जा ही हासिल कर पाएंगे जिनके कि अधिकार सीमित ही होते हैं। बस आप तो इतनी खैर मनाते रहिए कि इस बाहर होने के प्रकिया में आप और आप के अपने अवैध नागरिक बनने से कैसे बचे रह पाएंगे क्योंकि असम में तो सुनते हैं कि पूर्व सैन्यकर्मी, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिक रूप से सक्रिय, पीढ़ियों से रह रहे आदि तमाम प्रकार के लोगों के परिवार के लोग भी चपेटे में आ ही गए। यह भी उनका एक नोटबंदी टाईप मास्टरस्ट्रोक ही है।

मौका ए ग़नीमत है नार्थ ईस्ट सुलग उठा है उनकी थिंकिंग भले ही बाकी भारत से अलग हो मगर टारगेट वही है जो हम सबका है CAB, अलीगढ़ और देवबंद ने सबसे पहले बिगल फूंका है मुबारकबाद, देवबंद के कायम मुकाम जमीअत मैदान में डटी हुई है और जमीअत की ताकत जमीअत का कैडर देवबंद स्टूडेंट्स से कहीं ब्राड है। देवबंद के तलबा पढ़ाई पर फोकस करें, तलबा के वालिदैन जमीअत के बैनर तले मैदान में हैं। जामिआ दिल्ली ने आज कुरबानी की अज़ीम मिसाल पेश की है JNU की ताकत के साथ मिलकर जामिआ भारत की नई तारीख लिखेगा इन्शाल्लाह

कांग्रेस फार्म में आ चुकी है बताने की ज़रूरत नहीं कि कांग्रेस का प्रोटेस्ट में होना कितनी बड़ी मोरल पावर बूस्टिंग कर सकता है। मजलिस के कैडर ने पहली बार भारत के किसी मेन स्ट्रीम आंदोलन में ज़बरदस्त हिस्सा लिया है मजलिस को मुख्य धारा में आने की बहुत बधाई। समाजवादी पार्टी भी मैदान में निकलने की तैयारी कर रही है अखिलेश यादव नौजवान नेता हैं अखिलेश की मौजूदगी आंदोलन को नई ऊर्जा प्रदान करेगी। आने वाले दिनों में दिल्ली की ज़िम्मेदारी बढ़ने वाली है भारत के अलग-अलग हिस्सों से आंदोलन कारी दिल्ली पंहुचेंगे, ऐसे में दिल्ली को मेजबानी का भारी भरकम बोझ उठाना है। यही मौका है अभी नहीं तो कभी नहीं। दिल्ली को भर डालो, हर सड़क हर गली बस आंदोलन ही आंदोलन, दिल्ली की आवाज़ पूरी दुनिया में गूंजती है।

#CAB परेसान तो मुस्लिम को करेगा लेकिन डसेगा भारत की अर्थव्यवस्था को, या कहिये तो भारत को डसना शुरूकर चुका है। नार्थ ईस्ट के बदे हिस्से का कारोबार ठप है। देश के बाकि जगहों में भी लोग आर्थिक गतिविधि छोड़कर प्रोटेस्ट कर रहे है। दिक्कत तो तब आएगा जब #NRC का ऐलान होगा तब देश की जनता सब काम छोड़कर कागज पत्तर सही करने में लग जायेगी। लोग अनुत्पादक काम के लिए लम्बी लम्बी छुट्टी लेने लगेंगे। गरीब लोगों  पर पहाड़ ही टूट पड़ेगा उनको कागज निकालने पड़ेंगे जिसके लिए एक तो बाबू साहेब और दलालो को बड़ी घुस देनी पड़ेगी जिससे उनका वोटर कार्ड और पुराना राशन कार्ड या अन्य कागज मिल पाए। इसको बनवाने के लिए घुस और सरकारी खर्चे के अलावा अपना काम भी छोड़ना पड़ेगा और साथ ही साथ आने जाने में पैसा अलग से खर्च होगा।

मतलब गरीबो का कमर तोड़ देगी। गरीबो को ये सब काम सूद पर पैसे लेकर भी करना और करवाना होगा। इन सबका बहुत ही बुरा असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। #नोटबन्दी , #GST के बाद देश की अर्थव्यवस्था के लिए तीसरा और सबसे बड़ा अभिशाप साबित होने वाला है। बाकि मंदी, अत्यंत गरीबी और लॉ एंड आर्डर का रिलेशन तो सबको पता होगा ही। वैसे भी कहा जाता है, "मरता क्या नही करता"




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